क्रिया - सकर्मक अकर्मक क्रिया की पहचान - Kriya - Sakarmak or Akarmak Kriya

क्रिया ( Kriya )




क्रिया - जिस  शब्द के माध्यम से  वाक्य में कार्य के होने या करने का बोध होता है उसे क्रिया कहते हैं
जैसे-  राम दौड़ रहा है
सीता खाना बना रही हैउपर्युक्त रेखांकित शब्दों के माध्यम से हमें कार्य के होने का बोध हो रहा है  अतः ये शब्द क्रिया कहलाएगें।
कर्ता = काम करने वाले को कर्ता  कहते हैं|        .
जैसे =  रमा खाना बना रही है|
सीता झाड़ू लगा रही है|
उपर्युक्त वाक्यों में रमा‚ सीता के द्वारा कार्य किया जा रहा है अर्थात् रमा के द्वारा खाना बनाने का कार्य किया जा रहा है‚ वही दूसरे वाक्य में सीता द्वारा झाडू लगाने का कार्य किया जा रहा है अतः रमा‚ और सीता कर्ता है।
कर्म = कर्ता जो काम करता है, उसे कर्म कहते हैं|
जैसे -  रमा खाना बना रही है|
कर्म- उपर्युक्त वाक्य में कर्ता (रमा) के द्वारा “खाना” बनाने का कार्य किया जा रहा है अतः कर्म है = “खाना”
रमा क्या बना रही है?
उत्तर - खाना  (कर्म)
कर्म- जानने के लिए हम क्रिया पर “क्या” किसको का प्रश्न करते है।
  • सीता झाड़ू लगा रही है|
    प्रश्न-सीता क्या लगा रही है ?
    उत्तर -  झाड़ू (कर्म)
(कर्म )
  • वेदांत     फल   खाता है|
             |          |          |
        (कर्ता ) (कर्म ) (क्रिया)
प्रश्न- वेदांत क्या खाता है ?
उत्तर -  फल  (कर्म)

क्रिया के भेद (कर्म के आधार पर)1. सकर्मक क्रिया
2. अकर्मक क्रिया

परिभाषा -   वाक्य में ऐसी क्रिया जिन्हें अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कर्म की आवश्यकता होती है,
उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं|
जैसे -

मोहन क्या पढ़ता है?
उत्तर -  पुस्तक (कर्म)
सकर्मक क्रिया के भेद     -1.    एककर्मक क्रिया
2.   द्विकर्मक क्रिया
  1. एक कर्मक क्रिया - जिस क्रिया का एक कर्म होता है उसे एककर्मक क्रिया कहते है।

राधा क्या खाती है?
उत्तर -   खीर    (कर्म)
  1. द्विकर्मक क्रिया - जिस क्रिया के दो कर्म होते है उसे द्विकर्मक क्रिया कहते है।

उत्तर -   चित्र  (कर्म)
प्रश्न- किस को दिखाया?
उत्तर -    मुझे
2 .  अकर्मक क्रिया -  परिभाषा -वाक्य में ऐसी क्रिया जिसे अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कर्म की आवश्यकता नही पड़ती उसे अकर्मक क्रिया कहते है।



- यहां कोई कर्म नहीं हो रहा है
कुछ क्रियाएं व्यक्ति स्वयं भी करता है|जैसे -  सोना, जागना, रोना, आदि |

सकर्मक अकर्मक क्रिया की पहचान -1. सकर्मक क्रिया
2. अकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया - वाक्य में क्रिया शब्द से पहले क्या “ किसे ” किसको ”प्रश्न करने पर यदि कोई उत्तर मिलता है तो वह सकर्मक क्रिया होगी
- यदि प्रश्न करने पर एक उत्तर अर्थात एक कर्म मिले तो क्रिया एक कर्मक होती है
- यदि प्रश्न करने पर उत्तरअर्थात दो कर्म मिले तो क्रिया द्विकर्मक होगी|
जैसे=1. दर्जी कपड़े सिल रहा है|
प्रश्न= क्या सिल रहा है?
उत्तर=  कपड़े
2.   माताजी ने दुकान से सब्जी खरीदी|
प्रश्न=  क्या खरीदी?
उत्तर= सब्जी
प्रश्न=  किस से खरीदी?
उत्तर=  दुकान से
इसमें दो कर्म है अतः यह द्विकर्मक क्रिया है
  1. बच्चा शरबत पी रहा है|
    प्रश्न= क्या पी रहा है?
    उत्तर= शरबत
    - वाक्य में क्रिया शब्द से पहले क्या प्रश्न करने पर प्रत्यक्ष कर्म की प्राप्ति होगी जोकि निर्जीव होगा
    - वाक्य में क्रिया शब्द से पहले किसे या किसको प्रश्न करने पर अप्रत्यक्ष कर्म की प्राप्ति होती है तथा वह सजीव होता है
जैसे- 1. लता ने मुझे चित्र दिखाएं
प्रश्न - क्या दिखाएं?
उत्तर - चित्र( प्रत्यक्ष कर्म )
:  यह निर्जीव है|
प्रश्न= किसको दिखाएं?
उत्तर= मुझे ( अप्रत्यक्ष कर्म)
  1. पापा ने भैया को कार दिलवाई|
    प्रश्न= क्या दिलवाई
    उत्तर= कार(  प्रत्यक्ष कर्म)
प्रश्न= किसको दिलवाई?
उत्तर= भैया को ( अप्रत्यक्ष कर्म)
अकर्मक क्रिया=   वाक्य में क्रिया शब्द से पहले क्या “किससे” तथा “किसको” प्रश्न करने पर यदि उत्तर नहीं मिलता है तो वह अकर्मक क्रिया होगी|
- लेकिन यदि क्रियापद क्या का प्रश्न करने पर “कर्ता ” आए तो क्रिया अकर्मक ही होती है|
जैसे -  1. राहुल रोता है|
प्रश्न - “ क्या ”रोता है?
उत्तर -  राहुल (कर्ता )
  1. राधा घूम रही है|
    प्रश्न - क्या घूम रही है?
    उत्तर - राधा ( कर्ता )
    नोट - यदि वाक्य में क्रिया से पहले क्या लगा कर प्रश्न करने पर कल्पना के आधार पर उत्तर निकल जाता है तो क्रिया जन्म से ही  सकर्मक है, यदि उत्तर नहीं निकलता है तो क्रिया अकर्मक है|
जैसे - 1. सकर्मक क्रिया बताइए -
क.     तैरना
ख.      हंसना
ग.       जाना
घ.      पीना
उत्तर  -      घ .  पीना
  1. अकर्मक क्रिया बताइए-
क.   वह रात भर सोती रही|
ख.   वह दिनभर खाता रहा|
ग. अनिल कविता लिख रहा है
घ. उसी ने बोला था
उत्तर - ( क)  वह रात भर सोती रही
  1. सकर्मक क्रिया बताइए -
    क. छोटे-छोटे बच्चे बात-बात पर रोते हैं
    ख. जंगली हाथी भाग गया
    ग.    आलसी बच्चे देर तक सोते हैं
    घ.  बच्चे क्रिकेट खेलते हैं
    उत्तर - घ.    बच्चे  क्रिकेट खेलते हैं

मुख्य क्रियाकर्ता या कर्म के मुख्य कार्यों को व्यक्त करने वाली क्रिया ‘मुख्य क्रिया’ कहलाती है।
जैसे → 1. रमा आम लाई।
2. सोहन ने दुकान खोली।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘लाई’ और ‘खोली’ शब्द ही ‘कर्ता’ या ‘कर्म’ के मुख्य कार्यों को व्यक्त कर रहे हैं, अतः ये मुख्य क्रियाएँ हैं।
सहायक क्रियासहायक क्रिया उसे कहते हैं जो क्रिया पदबंध में मुख्य अर्थ न देकर उसकी सहायक हो अर्थात् मुख्य क्रिया के अतिरिक्त जो अंश बचता है, उसे सहायक क्रिया कहते हैं।
जैसे →
1. पिताजी अख़बार पढ चुके हैं।
2. माता जी खाना बनाने लगीं।
उपर्युक्त वाक्यों में मुख्य क्रिया ‘पढ़’ तथा ‘बनाने’ के साथ ‘चुकी’ और ‘लगीं’ सहायक क्रियाएँ जुड़ी हैं।
विशेष → क्रिया - पदबंध की रचना दो प्रकार के अंशों से मिलकर होती है।
→ क्रिया का एक अंश जो मुख्य अर्थ प्रदान करता है, उसे मुख्य क्रिया कहते हैं।
→ मुख्य क्रिया के अलावा जो भी अंश शेष रह जाता है, उसे सहायक क्रिया कहते है।
→  प्रायः मुख्य क्रिया पहले आती है और सहायक क्रियाएँ बाद में आती हैं।जैसे → लड़के क्रिकेट खेल चुके हैं।
खेल → मुख्य क्रिया
चुके हैं → सहायक क्रिया
     मुख्य तथा सहायक क्रियाओ के कुछ अन्य उदाहरण



रंजक क्रियाजब कोई क्रिया मुख्य क्रिया के साथ जुड़कर मुख्य क्रिया को और प्रभावशाली बनाती है, तब वह रंजक क्रिया कहलाती है।
जैसे →    1. महेश सिंह को रोना आ गया।
इसमे ‘आना’ ‘अतिशयता बोधक’ है।
→   इसमें ‘रोना’ = मुख्य क्रिया
गया  = सहायक क्रिया
आना = रंजक क्रिया
  1. वह अधिकतर घूमा करता है।
    घूमा = मुख्य क्रिया
    है = सहायक क्रिया
    करना = अभ्यास बोधक
    उपरोक्त वाक्य में (क्रिया) ‘करता’ रंजक क्रिया है जो मुख्य क्रिया के साथ जुड़कर जो उसे प्रभावशाली बना रहा है।
    विशेष→ प्रत्येक रंजक क्रिया का प्रयोग प्रत्येक मुख्य क्रिया के साथ नहीं किया जा सकता|
    जैसे - आ धमकना
    तो हो सकता है पर -
    चल धमकना नहीं हो सकता
संयुक्त क्रिया→हिंदी में क्रिया कभी एक पद द्वारा प्रकट होती है और कभी एक से अधिक पदों द्वारा|
1. मोहन आया
इसमें आया क्रिया एक पद वाली है|
2. मोहन आ चुका है|
उपरोक्त में आ चुका है  में तीन पद हैं =
आ + चुका + है|
अतः हम कह सकते है कि
जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ आपस में मिलकर एक पूर्ण क्रिया बनाती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे →
  1. मैं दिल्ली गया था।
  2. सौम्या पढ़ रही है।
→  उपर्युक्त पहले वाक्य मे दो क्रियाएँ है = गया + था
→  दूसरे वाक्य में तीन क्रियाएँ मिलकर = पढ़ + रही + है। पूर्ण भाव का अभिव्यक्त कर रही हैं।
→  इस प्रकार एक से अधिक क्रिया होने तथा उसका संयुक्त रूप प्रयुक्त होने के कारण ये संयुक्त क्रियाएँ है।

क्रिया के अन्य भेदसरल क्रिया/मूल क्रिया →सरल क्रिया उसे कहते हैं जो भाषा में रूढ शब्दों की तरह प्रचलित होती है।
इस क्रिया का हम मूल क्रिया भी कहते हैं।
→ क्योंकि न तो यह क्रिया किसी अन्य क्रिया से व्युत्पन्न हुई है और न ही    एक से अधिक क्रिया रूपों के योग से बनी है इसीलिए इसे हम मूल         क्रिया कहते हैं।
→ सरल क्रियाओं में आने वाली धातुएँ सरल या मूल धातु कही जाती हैं।
जैसे - आना, जाना, लिखना, पढ़ना आदि।
नामिक क्रिया/मिश्र क्रिया →मिश्र क्रिया के अंतर्गत पहला अंश संज्ञा, विशेषण या क्रियाविशेषण का होता है तथा दूसरा अंश क्रिया का होता है।
क्रिया वाले अंश के क्रिया में क्रिया कर कहा जाता है।
जैसे →
संज्ञा अंश वाली मिश्रक्रिया
मूलांश + क्रियाकर = मिश्रक्रिया
याद + आना = याद आना
भूख +  लगना = भूख लगना
विशेषण अंश वाली मिश्र क्रियामूलांश + क्रियाकर = मिश्रक्रिया
बुरा +  लगना = बुरा लगना
सुंदर + दिखना = सुंदर दिखना
क्रियाविशेषण अंश वाली मिश्र क्रियामूलांश + क्रियाकर = मिश्र क्रिया
बाहर + करना = बाहर करना
भीतर +  करना = भीतर करना
नामधातु क्रिया → संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों के अंत मंे प्रत्यय लगाकर जो क्रिया बनती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं।
संज्ञा शब्द से →जैसे →
फि़ल्म +  आना = फि़ल्माना
दुख +  ना = दुखना
विशेषण शब्द से →साठ + इयाना = सठियाना
गरम + आना = गरमाना
सर्वनाम शब्द से →अपना + आना = अपनाना

प्रेरणार्थक क्रिया → जहाँ कर्ता अपना कार्य स्वयं न करके किसी अन्य को कार्य करने की प्रेरणा देता है, वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है।
जैसे →
  1. पिता जी ने बेटे से अख़बार मँगवाया।
  2. मालकिन नौकरानी से सज़ाई करवाती है।
उपर्युक्त वाक्यों में कर्ता स्वयं अपना काम ने करके किसी अन्य से कार्य करवा रहे है।
-प्रथम वाक्य में पिता जी स्वयं अखबार न लाकर बेटे से मँगवा रहे है।
-वही दूसरे वाक्य में भी मालकिन स्वयं सफाई न करके नौकरानी से करवा रही है, अतः प्रेरणार्थक क्रिया है।
प्रेरणार्थक क्रिया के प्रकार
  1. प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
  2. द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया
प्रथम प्रेरणार्थक क्रियाजिन क्रियाओ में कर्ता, स्वयं कार्य करके दूसरों को कार्य करने की प्रेरणा देता हे, उन्हे प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे →    1.  अध्यापिका बच्चों को पढ़ाती है।
इस वाक्य में ‘अध्यापिका’ स्वयं कार्य करके ‘बच्चों’ को कार्य करने की प्रेरणा दे रही है।जोकर दर्शकों को हँसाता है।
इस वाक्य में ‘जोकर’ स्वयं (हँस कर) ‘हँसने’ का कार्य करके ‘दर्शकों’ को हँसने की प्रेरणा दे रहा है। अतः ये प्रथम प्रेरणार्थक क्रियाएँ हैं।
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया →जिन क्रियाओ में कर्ता स्वयं सम्मिलित न होकर दूसरों को कार्य करने की प्रेरणा देता है, उन्हें द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे →
  1. माता जी बच्चों से राखी बनवाती हैं।
  2. दादा जी पुजारी से पूजा करवाते है।
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया -इन वाक्यों में कर्ता माता जी तथा दादा जी स्वयं कार्य न करके दूसरो को कार्य करने की प्रेरणा दे रहे हैं अतः ये द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया है।
(5.)     पूर्वकालिक क्रिया →
वह क्रिया जिसका पूरा होना दूसरी क्रिया से पूर्व पाया जाता है, उसे ‘‘पूर्वकालिक क्रिया’’ कहते हैं, अर्थात् मुख्य क्रिया से पहले होने वाली क्रिया ‘‘पूर्वकालिक क्रिया’’ कहलाती है।
जैसे →
1.   गीता सुनकर कविता लिखी।
इस वाक्य में ‘लिखी’ से पहले ‘सुनकर’ क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः ये पूर्वकालिक क्रिया है।
नोट →    पूर्व आने वाली क्रिया मूल धातु के साथ ‘कर’ लगाकर बनती है।
जैसे -     ‘लिख्’ +  कर = लिखकर
खेल +  कर = खेलकर
(6)       अनुकरणात्मक क्रिया → जो  क्रिया रूप ऐसी धातुओं से बनते हैं, जो ध्वनियों के अनुकरण पर या पूर्व ध्वनि के अनुकरण पर बनती हैं। ऐसी क्रियाओं को अनुकरणात्मक क्रियाएँ कहा जाता है।
जैसे -
चीं-चीं = चिंहियाना
झन-झन = झनझनाना
थप - थप = थपथपाना


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