Kaal or kaal k bhed | काल - काल के भेद | Hindi Grammar

काल (समय)


पिछले साल मेरे जन्मदिन पर मेरी दीदी ने मुझे स्केट्स दिए थे।आज मेरे जन्मदिन पर दीदी मेरे लिए घड़ी खरीद रही हैं।
अगले साल मेरे जन्मदिन पर मेरे पापा कहीं बाहर ले जाएँ।
इस प्रकार से हम देखते हैं कि उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ अलग-अलग समय में हो रही हैं। तो इस प्रकार से ‘क्रिया के समय दर्शाने को’ ही ‘काल’ कहते हैं।  अतः हम कह सकते हैं कि -
‘‘जिस रूप से क्रिया के होने के समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं।’’

काल के भेद

काल के मुख्या तीन भेद होते हैंः-
  1. भूतकाल
  2. वर्तमान काल
  3. भविष्यत काल
  1. भूतकाल →
भूत  +          काल
↓                       ↓
बीत गया        समय
अर्थात् जो समय बीत गया।
क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध हो या वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के जिस रूप से बीते समय में (भूत) क्रिया का होना पाया जाता है। उसे हम भूतकाल कहते है।
भूतकाल के भेद
            भूतकाल के 6 उपभेद किये जाते हैं-
  1. सामान्य भूतकाल
  2. आसन्न भूतकाल
  3. अपूर्ण भूतकाल
  4. पूर्ण भूतकाल
  5. संदिग्ध भूतकाल
  6. हेतु हेतुमद् भूत

सामान्य भूतकाल→
            जब क्रिया के व्यापार की समाप्ति सामान्य रूप से बीते हुए समय में होती है, किन्तु इससे यह बोध नहीं होता कि क्रिया समाप्त हुए थोड़ी देर हुई है या अधिक वहाँ सामान्य भूत होता है।
जैसे →
नेता जी ने भाषण दिया।
अकबर ने पुस्तक पढ़ी।
कुसुम घर गयी।
आसन्न भूत →
            आसन्न का अर्थ है - समीप, निकट।
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया अभी-अभी कुछ समय पूर्व ही समाप्त हुई ह, वहाँ आसन्न भूत होता है।
अतः सामान्य भूत के क्रिया रूप के साथ ‘है’/‘हैं’ के योग से आसन्न भूत का रूप बन जाता है।
जैसे →
कुसुम घर गयी है।
अकबर ने पुस्तक पढ़ी है।
नेता जी ने भाषण दिया है।
पूर्ण भूत →
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि काम भूतकाल में ही पूरा हो चुका था, वहाँ पूर्ण भूतकाल होता है।
अतः सामान्य भूत क्रिया के साथ था, थी, थे लगने से पूर्ण भूत बन जाता है।
जैसे →
नीता ने खाना बनाया था।
26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था।
अपूर्ण भूत →
क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि क्रिया भूत काल में हो रही थी, किंतु यह पता नहीं चलता कि कार्य समाप्त हुआ है या नही, वह काल अपूर्ण भूत काल कहलाता है।
जैसे →    1.        सचिन बल्लेबाजी कर रहा था।
पाकिस्तान की टीम बल्लेबाज़ी कर रही थी।
संदिग्ध भूतकाल →
बीते हुए समय में जिस काम के होने के विषय में संदेह हो, वहाँ संदिग्ध भूत काल होता है।
सामान्य भूत की क्रिया के साथ होगा, होगी, होंगे लगने से ‘संदिग्ध भूत’ का रूप बन जाता है।
जैसे →
अनवर गया होगा।
राम हरिद्वार पहुँच गया होगा।

हेतु हेतुमद् भूत →
भूतकाल की एक क्रिया दूसरी क्रिया पर आश्रित होती है, तो वहाँ हेतहेतुमद् भूतकाल होता है। इसमे दो क्रियाओं का होना आवश्यक है।
जैसे →    1.        पेड़-पौधे अधिक लगाते तो इतना प्रदूषण नहीं होता।
अपने-आप को स्वच्छ रखते तो अस्वस्थ नहीं होते।

वर्तमान काल तथा वर्तमान काल के भद
वर्तमान काल
क्रिया के जिस रूप से वर्तमान समय में क्रिया का होना पाया जाये, अथवा क्रिया के जिस रूप से चल रहे समय का बोध हो, उसे वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे →
मैं समय-सारणी देखकर काॅपी-किताबें बस्ते में रख रहा हूँ।
मेरे पापा कंप्यूटर पर काम कर रहे है।
इस प्रकार से हम देखते हैं कि उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ अभी चल रही हैं। इन वर्तमान काल का बोध हो रहा ह, अतः ये वर्तमान काल है।

वर्तमान काल के भेद
            वर्तमान काल के पाँच भेद होते हैं-
  1. सामान्य वर्तमान काल
  2. अपूर्ण वर्तमान काल
  3. संदिग्ध वर्तमान काल
  4. संभाव्य वर्तमान काल
  5. आशार्थ वर्तमान काल
सामान्य वर्तमान काल→
क्रिया के जिस रूप से उसके वर्तमान काल में सामान्य रूप से घटित होने का पता चले, उस काल को सामान्य वर्तमान काल कहते हैं-
→ सामान्य वर्तमान काल में क्रिया के साथ ता, ते, ती है, हूँ, हो आदि का प्रयोग होता है।
जैसे →
  1. गरिमा कविता लिखती है।
  2. चिडि़या आसमान में उड़ती है।


अपूर्ण वर्तमान काल→
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया अभी समाप्त नहीं हुई, अभी चल रही है, उस काल को अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं।
→ अपूर्ण वर्तमान काल मंे क्रिया के साथ ‘रहा है’, ‘रही है’, ‘रहे हैं’ आदि आते हैं।
जैसे →
  1. प्रशान्त खेल रहा है।
  2. अनिल साइकिल चला रहा है।


संदिग्ध वर्तमान काल→
जब क्रिया के वर्तमान काल में होने पर संदेह हो, वहाँ संदिग्ध वर्तमान काल होता है।
→ इसमें क्रिया के साथ ता, ती, ते के साथ ‘होगा’, ‘होगी’, ‘होंगे’ का भी प्रयोग होता है।
जैसे →

  1. अभय खेत में काम करता होगा।
  2. नेता जी भाषण दे रहे होंगे।

संभाव्य वर्तमान →
जिस क्रिया से वर्तमान समय की अपूर्ण क्रिया की संभावना या आशंका व्यक्त हो, वहाँ संभाव्य वर्तमान काल होता है।
जैसे →
  1. शायद आज पिताजी आते हों।
  2. मुझे डर है कि कहीं कोई हमारी बात सुनता न हो।


आशार्थ वर्तमान काल →
क्रिया को वर्तमान समय में ही चलाने की आशा का बोध कराने वाला रूप आशार्थ वर्तमान काल कहलाता है।
जैसे →

  1. राधा, तू, नाच।
  2. मोहन, किताब पढ़ो।



भविष्यत् काल
            क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय का बोध हो, उसे भविष्यत काल कहते है।
जैसे →
  1. मेरे पापा का स्थानांतरण अब दिल्ली हो जाएगा।
  2. मैं नए विद्यालय में प्रवेश लूँगा
  3. वहाँ पर भी अच्छे आचरण वाले नए-नए दोस्त बनाऊँगा।

इस प्रकार से हम देखते हैं कि उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ आने वाले समय का बोध करा रही हैं। अतः ये भविष्यत् काल है।
भविष्यत् काल के भेद
  1. सामान्य भविष्यत्
  2. सम्भाव्य भविष्यत्
  3. आशार्थ भविष्यत्
सामान्य भविष्यत्→
क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में, सामान्य रूप में होने का बोध हो, उसे सामान्य भविष्यत् काल कहते हंै।
→ इसमें क्रिया (धातु) के अन्त में एगा, एगी, एंगे, आदि लगते हैं।
जैसे →
  1. राधा नृत्य सीखने जाएगी।
  2. पापा बाज़ार से सामान लाएँगे।

सम्भाव्य भविष्यत् →
क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में होने की संभावना का पता चले, वहाँ भविष्यत् काल होता है।
→ इसमें क्रिया के साथ ए, ऐ, ओ, ऊँ, का योग होता है।
जैसे →
  1. शायद वर्षा बंद हो जाएँ।
  2. संभव है कि राम परीक्षा में पास हो जाएँ।

आशार्थ भविष्यत् →
किसी क्रिया के आगामी समय में पूर्ण करने की आशा प्रकट करने वाले रूप को आशार्थ भविष्यत् काल कहते हैं।
→ इसमें क्रिया के साथ ‘इएगा’ लगता है।
जैसे →
  1. आप हमारे घर अवश्य आइएगा।
  2. कल आप गुरुजी के आश्रम अवश्य जाइएगा।

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